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जैसा कि आप सभी अवगत हैं कि एक अच्छे राष्ट्र के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत हीं महत्वपूर्ण होती है। इसीलिये तो शायद शिक्षकों को राष्ट्र निर्माता भी कहा जाता है। किसी महान कवि/लेखक ने कहा है "CHILD IS THE FATHER OF MAN" एक शिक्षक के रूप में यदि आपके कार्य की समक्षा की जाये तो बच्चों के सर्वांगीण विकास में अपना सर्वस्व न्योछावर करने में आपका कोई सानी नहीं। इसीलिये तो कहा जाता है।-
गुरू गोविंद दोऊ खड़े काको लागू पाय बलिहारी गुरू आपने जिन गोविंद दियो बताय और "गुरुर ब्रद्धा, गुरुर विष्णु, गुरूर देवो महेश्वराय गुरु साक्षात् परं बड़ा तस्मैं श्री गुरुये नमः
आज पूरे देश में शिक्षकों को गुरु-दक्षिणा के रूप में जो वेतन प्राप्त होता है वे दैनिक जीवन-यापन के लिये तो पर्याप्त हो सकता है, मगर आकस्मिकता के लिये नहीं तथाः-
उपरोक्त परिस्थितियों में कई शिक्षकों को (500/-) पाँच सौ रुपये से लेकर (5000/-) पाँच हजार रुपये तक चंदा (सहायता राशि) देते हुए देखा जा सकता है। यदि गहिने में दो से पाँच बार चंदा देना पड़े तो व्यक्तिगत खर्च की वजह से तत्क्षण सहायता नहीं हो पाती है।
क्या आपके पास कोई स्थायी समाधान है?
यदि नहीं 'तो आइए हम सब मिलकर इसका समाधान स्थायी तौर पर निकाले ।